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सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार परियोजना

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी उप-प्रभाग

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी उप-प्रभाग पर अत्याधुनिक बहुतायत संचार, सूचना प्रौद्योगिकी सहायता और ज्ञान प्रबंधन के प्रावधान उत्तीरदायित्व हैं। उप-प्रभाग द्वारा निम्न लिखित परियोजनाओं की कल्पीना की गई है।

चालू परियोजनाएं

ईओसी की क्षमता निर्माण: इस परियोजना का उद्देश्य राज्यों को उपकरण और प्रशिक्षण के खरीद के लिए एक मुश्त वित्तीकय सहायता प्रदान करके आपातकालीन संचालन केंद्रों (ईओसी) की क्षमता निर्माण करना है। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए 2८ नवंबर, 2019 को राज्यों को निधि स्थांतरित किया गया है। इस परियोजना की 31 दिसम्बर, 2021 तक पूर्ण होने की संभावना है।

सम्पूर्ण परियोजनाएं

  • एनडीएमएस पायलट परियोजना: एनडीएमए ने एक उपग्रह आधारित राष्ट्री य प्रबंधन संचार नेटवर्क बनाने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है, जो निम्नलिखित स्थाीनों को कवर करेगा:-
    • राष्ट्रीय स्तर - 03 (एमएचए, एनडीएमए और एनडीआरएफ मुख्यािलय)
    • राज्य/केंद्र शासित प्रदेश - 36 (सभी राज्यों की राजधानी और / केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन मुख्या लय)
    • चिह्नित अतिसंवेदनशील जिले - 81
    इस परियोजना का उद्देश्य किसी आपदा के कारण स्थायनीय नेटवर्क की विफल होने पर उपग्रह के माध्यम से अतिसंवेदनशील जिलों, संबंधित राज्य मुख्याालयों, एमएचए, एनडीएमए, एनडीआरएफ मुख्यालय और आपदा स्थलों के ईओसी के बीच वोइस/डेटा संचार को सुविधा प्रदान करके असफल होने से बचाने (फेल सेफ) के लिए संचार प्रदान करना है। प्रत्येुक स्थल को एक निश्चिेत वीसेट टर्मिनल और एक आईसेट फोन प्रदान किया गया है। यह परियोजना 31 मार्च, 2019 को पूर्ण हो चुकी है और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को सौंप दी गई है।
  • सामान्य चेतावनी प्रोटोकॉल (पायलट) परियोजना: यह पायलट परियोजना तमिलनाडु में शुरू की गयी । इससे स्थाीनीय भाषा में एसएमएस के माध्य्म से स्थान आधारित लक्षित सावधानियों/चेतावनियों के प्रसार में सुविधा प्रदान की। सेल प्रसारण के लिए अवधारणा का एक प्रमाण भी दिया गया। यह परियोजना डीओटी और सी-डीओटी के माध्यम से क्रियान्वयन किया गया। परियोजना 20 मार्च, 2021 को पूर्ण को चुकी है।
  • वेब आधारित प्रशिक्षण: इस परियोजना का उद्देश्य वेब आधारित प्रशिक्षण मॉडयूल और पाठ्यक्रम के माध्यधम से आपदा प्रबंधन में क्षमता निर्माण को बढ़ाना है।ओडिशा राज्य मुक्तं विश्व्द्यालय ने इस परियोजना का क्रियान्वयन किया | यह परियोजना 31 मार्च, 2021 को पूर्ण हो गयी।