आपदा प्रबंधन हेतु प्रथम मोचक, समुदायों और विद्यालयों में तैयार रहने की संस्कृति विकसित करना।
आपदा प्रबंधन के लिए समुदायों और प्रथम मोचकों में तैयार रहने की संस्कृति पैदा करने हेतु राज्यप सरकारें अपनी आपदा प्रबंधन योजना की यथेष्टकता और प्रभावोत्पाुदकता की समीक्षा करते हैं। ये जिलों और मुख्यअ दुर्घटनाखतरा इकाई (एमएएच) का चयन कर संसाधनों, संवाद प्रणाली और तंत्र के बीच खाई को पाटने के लिए एनडीएमए आपदाकी चपेट में आने वाले राज्यों के साथ मिलकर विभिन्नी प्रकार की प्राकृतिक और मानव-जनित आपदाओं के लिए छद्म अभ्याकस का आयोजन करते हैं। इससे तैयार रहने और जागरूकता फैलाने की संस्कृति को बल मिला है। विद्यालयों में भी छद्म अभ्यास का आयोजन और डीएम अवसंरचना को संस्थािगत बनाया गया है।
छद्म अभ्यास क्रमश: व्यावस्थित तरीके से कराया जाता है:
कदम 1. समन्वय और अभिमुखी सम्मेलन का आयोजन। इस सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों को अभ्यास के उद्देश्ये और लक्ष्य से अवगत कराया जाता है तथा उनकी भूमिका को निरुपित किया जाता है, टेबल टॉप और छद्म अभ्या्स की जानकारी दी जाती है एवं टेबल टॉप और छद्म अभ्यास की तरीखें तय की जाती हैं।
कदम 2. टेबल टॉप अभ्यास का अयोजन। प्रमुख हितधारक सर्वप्रथम अपनी तैयारी की प्रस्तुति देते हैं। एक बेहद खराब स्थिति का बनावटी दृश्य तैयार किया जाता है, उसके बाद तैयारी की स्थिति से आपदा प्रबंधन में बचाव और राहत की पूर्व-चेतावनी में मुख्या हितधारकों के माध्यम से प्रोत्साहन देना है। प्रत्येक हितधारकों से उनकी प्रतिक्रिया हासिलकर फिर उस पर विस्तृत चर्चा होती है। छद्म अभ्यास के समय स्वतंत्र प्रेक्षक तैनात किए जाते हैं तथा अभ्यास के दौरान सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाता है।
कदम 3. छद्म अभ्यास का आयोजन। प्रेक्षकों को उनकी जिम्मेवारी बता दी जाती है। उसके बाद वे अपनी भूमिका में आकर नोडल एजेंसियों से प्राप्त विशेष इनपुट के अनुरूप उर्ध्वगामी स्थिति चित्रित करते हैं। परिस्थिसति की संकल्पना एक विशेष सीख देने के लिए होती है जिसमें संसाधनों/प्रणाली में यदि कोई खाई है तो उसका पता किया जाए। परिस्थिति के प्रशमन हेतु संबंधित विभागाध्य्क्षों के आदेशानुसार संसाधनों को जुटाया जाता है। आपदा के प्रबंधन हेतु घटना प्रतिक्रिया प्रणाली का अभ्यास कराया जाता है। छद्म अभ्यास के अंत में इस पर विस्तृत विवरण लिया जाता है जिससे अच्छे अभ्यास एवं सीखे गए पाठ को समेकित किया जाए।
डीएम कैलेंडर तैयार करना। राज्य सरकारों से विशिष्ट आपदा जिसकी चपेट में वे राज्य आते हैं, कितनी संख्याए में छद्म अभ्यास आगामी वर्षों में आयोजित कराना चाहते हैं, तत्संबंधी सूचना मंगाई जाती है। इसके पश्चात टेबल टॉप और छद्म अभ्याास के समेकित प्रस्ताव राज्यों को खतरा तथा उनकी अतिसंवेदनशीलता को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। जो राज्य /यूटी अधिक संवेदनशील होते हैं उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। राज्यों के साथ विचार-विमर्श के पश्चात् टेबल टॉप और छद्म अभ्यास के ड्राफ्ट कैलेंडर तैयार किए जाते हैं तथा माननीय उपाध्यक्ष, एनडीएमए के अनुमोदोपरांत संबंधित राज्यों /यूटी के सचिवों को भेजा जाता है जहां पर छद्म अभ्यास आयोजित होना है।
आचरण
अभिमुखी-सह-समन्वय सम्मेलन। आपसी सहमित से तय किया गया स्था्न और तिथि को अभिमुखी-सह-समन्वय सम्मेलन आयोजित होते हैं।इस प्रशिक्षण में एनडीएमए की तरफ से वरिष्ठ विशेषज्ञ (प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण) सम्मेलन में भाग लेते हैं। कभी-कभार इसमें राज्य के प्रमुख सचिव हिस्सा लेते हैं और सामान्यत:, राजस्व-सह-डीमए सचिव, स्वास्थ्य सचिव, पुलिस महानिदेश,आईजी (विधि व्यवस्था), मुख्य अग्निशमन अधिकारी, आपूर्ति अधिकारी, आरटीओ, नागरिकसुरक्षा,संचारअधिकारी, डीजीएम बीएसएनएल/एमटीएनएल, एनजीओ, होम गार्ड,रक्षा बल के प्रतिनिधि, क्षेत्र में तैनात अर्द्धसैनिक बल, आईएमडी के प्रतिनिधि, सीडब्यूसी तथा अन्य तकनीकी संस्थान एवं एनडीआरएफ बटालियन के संबंधित कमाडेंट उपस्थित होते हैं। औद्योगिक (रासायनिक) आपदा की स्थिति में कारखाना मुख्यी निरीक्षक/कारखाना एवं वाणिज्य् निदेशक,संबंधित संयुक्त और उप मुख्यि कारखाना निरीक्षक, निरीक्षक और चुने हुए उद्योगों के एमडी/मुख्यं प्रचालक इसमें भाग लेते हैं। प्रत्येक हितधारकों से आपात स्थिति के दौरान उनके आपसी समन्विय, उद्देश्य, भूमिका, जवाबदेही, कार्यक्षेत्र का विवरण प्राप्त किया जाता है। प्रतिभागिता और जागरूकता पैदा करने के लिए मीडिया कवरेज अभियान भी तीव्र किया जाता है। टेबल टॉप, और छद्म अभ्यावस की तिथियां तय होती हैं और राज्य एवं जिला नोडल अधिकारी के संपर्क विवरण के साथ नामित किया जाता है। सम्मेलन के दौरान जिलों और औद्योगिक क्षेत्रों का जहां छद्म अभ्याास होना है, तय कर दिया जाता है यदि यह पहले से तय न हो। सम्मेलन के पश्चात, एनडीएमए के वरिष्ठे विशेषज्ञ क्षेत्र का दौरान करते हैं और परिदृश्य तैयार करते हैं जहां छद्म अभ्यास आयोजित किया जाना है।
टेबल टॉप अभ्यास। टेबल टॉप अभ्याोस की शुरूआत उर्ध्वगामी दृष्टिकोण के अनुरूप संकल्पना और परिदृश्य निर्माण से होता है। यह इंटरनेट सर्फिंग से संगत सूचना राज्यों/यूटी से प्राप्त कर संबंधित विशेषज्ञों से सलाह लिया जाता है। समन्वय सम्मेलन के बाद क्षेत्र का दौराकर हितधारकों से जानकारी एकत्रित की जाती है और अनुभवों का ब्यौयरा साझा करते हैं। विशिष्ट सीख देने के लिए परिदृश्य की रचनाकी जाती है और मानव-शक्ति, प्रणाली, दूरसंचार और उपकरण में महत्वापूर्ण अंतर का पता लगाया जाता है। टेबल टॉप अभ्याास के शुरू में मुख्य हितधारकों जैसे, डीए सचिव, समाहर्ता, जिला चिकित्सा अधिकारी, एसएसपी, जिला अग्निशमन अधिकारी, मुख्य कारखाना निरीक्षक और रासायनिक (औद्योगिक) आपदा उद्योग के जीएम अपने विभागों के आपातकालीन प्रतिक्रिया का विवरण प्रस्तुलत करते हैं। उसके बाद वरिष्ठ विशेषज्ञ (प्रशिक्षण और क्षमता विकास) टेबलटॉप अभ्यास आयोजित करते हैं और परिदृश्य का वर्णन कर संबंधित हित धारकों से उनके मंतव्यों और प्रतिक्रिया की जानकारी लेते हैं। परिस्थिति की मांग के अनुरूप अभ्यास का क्षेत्र और दायरा बढ़ाकर व्यावसायिक रूप से अभ्यास कराया जाता है।
सभी हितधारकों के तनाव के समय तंत्र की जांच करने का अवसर प्रदान किया जाता है। हितधारकों कि प्रतिक्रियाओं पर विस्तृीत चर्चा होती है और डीएम सचिव/समाहर्ता/औद्योगिक इकाई के जीएम की मंतव्यत भी लिए जाते हैं। एनडीएमए के वरिष्ठ विशेषज्ञ सुचारु रूप से अभ्यास कराते हैं और प्रत्येक भागीदार की सहभागिता सुनिश्चिवत करते हैं। इसके बाद राज्यर/जिला/उद्योगों के बीच टेबल टॉप और छद्म अभ्यास पर विशेष कार्रवाई की जाती है। राज्यों द्वारा राज्य के बाहर से प्रेक्षक को नामित किया जाता है जहां छद्म अभ्यास आयोजित होता है। इसी भांति राज्य के कारखाना निदेशक इसी प्रकार के दूसरे कारखाने से राज्य के भीतर या बाहर से प्रेक्षक नियुक्ता करता है।
छद्म अभ्यास। छद्म अभ्यास के पूर्व राज्या और सीआईएफ द्वारा तैनात प्रेक्षकोंको एनडीएमए के वरिष्ठ विशेषज्ञ उनकी भूमिका और जवाबदेही से अवगत कराते हैं। उन्हें अवलोकन के लिए एक प्रारूप दिया जाता है। सभी हितधारकों को स्वमूल्यांकन का एक फार्म दिया जाता है। किसी बनावटी परिदृश्यि से अभ्यास की शुरूआत होती है जैसे प्रभावित क्षेत्रोंसेधुंआ का उठना, कोलाहल और साइरन की आवाज होती है और सामूहिक स्तर पर भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं समुदायों के बीच से प्रथम मोचक द्वारा संसाधनों को (आदमी, मशीन, सामग्री और उपकरण) राहत कार्यों में लगाया जाता है। प्रेक्षक द्वारा अतिरिक्तं आपात स्थिति तैयार किया जाता है।
जिला प्रशासन हरकत में आता है तब जब एसओपीके अनुरूप समुदाय/प्रतिनिधि उन्हें रिपोर्ट करते हैं। रासायनिक (औद्योगिक) आपदा की स्थि/ति में प्रथमत: मौके पर आपातस्थिति को सक्रिय कियाजाता हैऔर प्रचालन स्तोर पर कामगारों, कंट्रोल रूम, मेन गेट, अग्नििशमन सेवा और प्रबंधनस्ततर पर समीक्षा की जाती है। जब आपात स्थिोति का दायरा बढ़कर दूर तक फैल जाता है तो समाहर्ता/डीसी घटना के कमांडर की भूमिका में आ जाते हैं। घटना कमांडर का पद स्थापित किया गया है और सभी संबंद्ध हितधारक अपनी आगे की कार्रवाई को उनके समक्ष प्रस्तुत करते हैं। घटना कमांडर उन्हें निदेशित करते हैं। मीडिया कर्मी भी अभ्यास में भाग लेते हैं। समाहर्ता/डीसी/ घटना कमांडर द्वारा अस्थाकयी राहत शिविर तैयार करवाते हैं और अस्पतालों ( सरकारी तथा प्राइवेट) को नामित करते हैं जहां घायलों को भर्ती किया जाता है। प्रभावित लोगों को खाली करने का आदेश समाहर्ता/डीसी द्वारा दिया जाता है। पीएचसी/चिकित्सीय पद महत्वपूर्ण स्थाानों पर प्राथमिक उपचार हेतु स्थापित किए जाते हैं और गंभीर इलाज के उपाय भी होते हैं तथा प्राथमिकता के आधार पर शवों को हटाया जाता है। जिला के बाहर से विभिन्न संसाधनों को लाकर अभ्याास विकसित किया जाता है। छद्म अभ्या स के बाद मीडिया ब्रीफिंग की जाती है और मीडिया के लोगों को अभ्यास संबंधी प्रश्न पूछने की अनुमति होती है। इसके बाद पूछताछ का सत्र होता है जिसमें प्रेक्षक निष्पक्ष, स्वतंत्र और स्पष्ट विचार रखते हैं और हितधारकों द्वारा कृत विभिन्न कार्वाई पर वे अपनी बात कहते हैं तथा अपना अनुभव भी साझा करते हैं। पारदर्शी तरीके से अच्छेे अभ्यास,अंतराल और कमजोरियों की पहचान करते हैं।
रिपोर्ट पर कार्रवाई। पूछताछ सत्र में चर्चाओं के परिणामस्वपरूप एक अंतिम रिपोर्ट वरिष्ठ विशेषज्ञ (टीसीडी) द्वारा तैयार किया जाता है और फोटोग्राफ और प्रेस कटिंग संलग्न कर इसे प्रस्तुत किया जाता है। रिपोर्ट को उपाध्यक्ष महोदय के अनुमोदनोपरांत राज्यों के मुख्य सचिवों को प्रेषित किया जाता है। अभ्यास से प्राप्त सीख पर सुधार के लिए अनुवर्ती कार्वाई अपेक्षित होती है।
एनडीआरएफ द्वारा जिला स्त्रों पर छद्म अभ्यास
आपदा योजना की तैयारी के स्तर और प्रभावोत्पाजदकता की समीक्षा के लिए छद्म अभ्यास अनिवार्य है। इससे सभी हितधारकों में बेहतर तालमेल, समन्वाय और एकजुटता आती है। भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य प्राधिकारियों, जिला प्रशासन और अन्य हितधारकों की सक्रिय भागीदारी से विभिन्न आपदा संबंधी छद्म अभ्यास एनडीआरएफ के माध्यम से आयोजित कराए जाएं। इस प्रकार के छद्म अभ्यास देश के सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से आयोजित होंगे। प्रथम चरण में 2020-21 की अवधि में 154 जिलों को चिह्नित कर इस बावत कैलेंडर सभी राज्यों /संघ शासित क्षेत्रों को भेज दिया गया है। शेष बचे जिलों को द्वितीय एवं तृतीय चरण में क्रमश: 2021-22 और 2022-23 की अवधि में शामिल किया जाएगा। इन जिला स्तरीय एमई अक्तूबर, 2020 के प्रभाव से पहले से ही आरंभ हैं।
उपसंहार
छद्म अभ्यास, चाहे ये जिला, किसी उद्योग या विद्यालयों में आयोजित हों, अत्यधिक प्रतिक्रिया देखने को मिला है। राज्य की तैयारी की जांच हुई है और संसाधनों (मानव शक्ति या सामग्री), संचार और प्रणाली में गैप की पहचान हुई है।
एनडीएमए द्वारा आयोजित छद्म अभ्याास :
त्रिपुरा में राज्य स्तरीय मॉक एक्सरसाइज (अप्रैल 2018) नकली परिदृश्य - भूकंप (1.67 MB)