मनोसामाजिक सहयोग और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं (पीएसएसएमएचएस)
आपदा के परिप्रेक्ष्य में मनो-सामाजिक सहायता का उद्देश्य आपदा के पश्चात पैदा हुए मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्वास्थ्य की विस्तृत समस्याओं के निपटान हेतु व्यापक हस्तक्षेप से है। इस प्रकार के हस्तक्षेप से व्यक्तियों, परिवारों, समूहों में क्षमता निर्माण, सामाजिक तानाबाना की पुन: स्थापना और उनकी स्वतंत्रता, मर्यादा, सांस्कृतिक सत्यनिष्ठा के साथ अवसंरचना खड़ा करने में मदद होती है। मनो-सामाजिक सहायता से वास्तविक और अनुभव की गई तनाव के स्तर को कम करने और आपदा प्रभावित समुदायों पर होने वाले मनोवैज्ञानिक और सामाजिक प्रतिकूल परिणामों की रोकथाम में मदद मिलती है।
आपदा प्रभावित लोगों में मनोवैज्ञानिक लक्षण, मानसिक विकार और वैसे लोग जिनमें पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हैं, उन्हें चिन्हित कर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से सहायता करना है। इसके अलावा मनो-सामाजिक सहायता का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक कुशलता, उनका उन्नयन तथा मनोवैज्ञानिक और मनोरोग के लक्षणों की रोकथाम करना है।
आपदा की स्थिति में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं और मनो-सामाजिक सहायता को सामान्य स्वास्थ्य सेवाओं के महत्वपूर्ण अंग के रूप में अबाध रूप में चलने वाला समझा जाता है। मने-सामाजिक सहायता में सामान्यत: बड़े मुद्दे, जैसे राहत कार्य द्वारा लोगों की मनो-सामाजिक सुरक्षा, कुशल-क्षेम को बढ़ाना, आवश्यक जरूरतों की आपूर्ति, सामाजिक संबंधों की बहाली, मुकाबला करने की क्षमता में वृद्धि और उत्तरजीवी लोगों में शांति बहाली, सभी आते हैं। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य वैसे हस्तक्षेप से है जिसमें मनोवैज्ञानिक और मनोरोग के लक्षण या विकार की चिकित्सा और रोकथाम आएंगे।
कुल मिला कर मनो-सामाजिक सहायता और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का ध्येय आपदा प्रभावित लोगों का कुशल-क्षेम बहाल करना है।