पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग 15 कोर (श्रीनगर), 21 कोरऔर मिलिट्री सचिव
अपने अधिकांश 40 साल के शानदार कार्यकाल में जनरल हसनैन ने अशांत क्षेत्रों और संवेदनशील स्थानों में सेवा की है। श्रीलंका से सियाचिन ग्लेशियर तक, पूर्वोत्तर से जम्मू और कश्मीर तक, और संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशन में मोजाम्बिक से रवांडा तक, उन्होंने ये सब महत्वपूर्ण नियुक्तियों में अनुभव किया है। उन्होंने जम्मू एवं कश्मीर में सात कार्यकाल में सेवा की, उनमें से लगभग सभी में उन्हें अलंकृत किया गया है। जनरल हसनैन ने जम्मू एवं कश्मीर के संघर्ष को व्यापक रूप से जाना है। उन्होंने भारतीय सेना के श्रीनगर में स्थित 15 कोर की कमान संभाली और आज जम्मू और कश्मीर, पाकिस्तान, मध्य पूर्व और अंतर्राष्ट्रीय चरमपंथी हिंसा के प्रमुख लेखकों और विश्लेष्कों में से एक हैं। मुख्यधारा के टेलीविजन पर वाद-विवाद (डिबेट) में नियमित प्रतिभागी होने के अलावा वे प्रमुख भारतीय समाचार पत्रों जैसे-द टाइम्स ऑफ इंडिया, द इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू, डेक्कन क्रॉनिकल और द एशियन एज के लिए लिखते हैं।, शेरवुड कॉलेज, नैनीताल, सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली, रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज, किंग्स कॉलेज, लंदन और एशिया पैसिफिक सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज, हवाई, से एक मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि के साथ, वह अमेरिका द्वारा शुरू की गई विद्वान यौद्धा की अवधारणा (स्कॉलर वारियर कॉनसेप्ट) को भारतीय सेना में अपनाने को प्रोत्साहित करने में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने सिंगापुर में स्थित ली क्वॉन यू स्कूल फॉर पब्लिक पॉलिसी स्कूल फॉर इंटरनेशनल स्टडीज राजारत्नम और इंडियन इंस्टीट्यूट फॉर साउथ एशियन स्टडीज में व्याख्यान दिये। उन्होंने इंटरनेशल इंस्टीटयूट ऑफ स्ट्रेटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) लंदन में भी व्याख्यान दिया है। वह विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन और सेंटर फॉर ज्वाइन्ट वारफेयर स्टडीज से प्रतिष्ठित अध्येता के रूप में जुड़े हुए हैं, और विश्व मामलों की भारतीय परिषद (आईसीडब्ल्यूए) तथा इंस्टीट्यूट ऑफ पीस और कॉनफ्लिक्ट स्टडीज (आईपीसीएस) की शासी परिषद में हैं। वह भारत की सामरिक संस्कृति को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न सैन्य, सिविल सेवा और निगम संस्थानों में राष्ट्रीय सुरक्षा पर व्याख्यान देते हैं। उन्होंने हाल ही में ईरान का दौरा किया है और उस देश में पाकिस्तानी प्रभावि ऑपरेशन को निष्प्रभावी करने में अग्रणी रहे हैं।
13 जुलाई, 2018 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा कश्मीर के सेन्ट्रल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन को नियुक्त किया गया।
जनरल हसनैन को भारत के राष्ट्रपति द्वारा 6 पदकों और सेना प्रमुख द्वारा 2 पदकों से अलंकृत किया गया। उन्होंने 40 साल की सक्रिय सेवा के बाद जुलाई, 2018 में भारतीय सेना से सेवानिवृत्ती प्राप्त की ।
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