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बाढ़

भारत बाढ़ की आपदा से अत्यधिक असुरक्षित है। 3290 लाख (329 मिलियन) हेक्टेयर के कुल भौगोलिक क्षेत्र में से, 400 लाख (40 मिलियन) हेक्टेयर से अधिक हिस्सा बाढ़ प्रवण हिस्सा है। बाढ़ बारंबार आने वाली ऐसी आपदा है जिससे लोगों के जीवन की भारी हानि होती है तथा इसके कारण आजीविका तंत्रों, संपत्ति, आधारढांचों तथा जन-सुविधाओं को काफी क्षति पहुँचती है। यह चिंता का एक कारण है कि बाढ़ संबंधित क्षतियों में बढोतरी का रुझान देखा गया है। वर्ष 1996 से 2005 की पिछली 10 वर्षीय अवधि रही में औसत वार्षिक बाढ़ क्षति पिछले 53 वर्षों की तदनुरूपी औसत के 1805 करोड़ रुपए की क्षति की तुलना में 4745 करोड़ रुपए थी। इसके लिए कई कारण जिम्मेदार माने जा सकते हैं जिनमें जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, वैश्विक तापन (ग्लोबल वार्मिंग) के साथ-साथ बाढ़ प्रवण मैदानों में तेजी से हुए षहरीकरण की वजह से बढ़ते  विकासात्मक तथा आर्थिक कार्यकलाप षामिल हैं।

प्रति वर्ष औसतन 75 लाख हेक्टेयर भूमि प्रभावित होती है, 1600 लोगों की जाने जाती हैं तथा बाढ़ के कारण फसलों व मकानों तथा जन-सुविधाओं को होने वाली क्षति 1805 करोड़ रुपए है। वर्ष 1977 में बाढ़ में जाने वाली जानों की संख्या (11,316) अधिकतम थी। भयंकर  बाढ़ों की आवृति 5 वर्षों में एक बार से अधिक है।

बाढ़ उन क्षेत्रों में भी आई है जिन्हें पहले बाढ़ प्रवण क्षेत्र नहीं माना जाता था। इन दिशानिर्देशों में बाढ़ प्रबंधन की संपूर्ण प्रक्रिया को शामिल करने का प्रयास किया गया है। अस्सी प्रतिशत बारिश जून से सितंबर के मानसून महीनों में गिरती है। नदियां में जलग्रहण-क्षेत्रों (कैचमेंट एरिया) से भारी तलछट आता हैं। नदियों की अपर्याप्त वहन क्षमता के साथ-साथ यह तलछट बाढ़, नालों के अवरुद्ध होने और नदी तटों के कटाव के लिए जिम्मेदार है। चक्रवात, चक्रवातीय हवाएं (साइक्लोनिक सर्कुलेश्न्स) तथा बादल का फटना आकस्मिक बाढ़ लाते हैं जिनसे भारी नुकसान होता है। यह वास्तविकता है कि भारत में नुकसान करने वाली कुछ नदियों का प्रारंभिक स्थान पड़ोसी देशों में है; जिससे बाढ़ की समस्या में एक जटिलता और बढ़ जाती है। लगातार और बडे पैमाने पर जान-माल की हानि तथा बाढ़ की वजह से सार्वजनिक और निजी सम्पत्ति का नुकसान यह दर्शाता है कि बाढ़ से कारगर ढंग से निपटने के लिए समर्थ कार्रवाई को विकसित किया जाना हमारे लिए अभी शेष है। एनडीएमए के दिशानिर्देशों का कार्यकारी सारांश तैयार कर लिया गया है ताकि बाढ़ से होने वाली क्षति को न्यूनतम करने हेतु महत्वपूर्ण विषयों के प्रभावी समाधान के लिए विभिन्न कार्यान्वयन तथा हितधारक अभिकरणों को सक्षम बनाया जा सके।

Floods

 

आपातकालीन किट

  • बैटरी चालित टोर्च
  • अतिरिक्त बैटरियां
  • बैटरी चालित रेडियो
  • प्राथमिक सहायता थैला (फस्र्ट एड किट) तथा अनिवार्य दवाएं
  • आपातकालीन खाद्य सामग्री (शुष्क खाद्य वस्तुएं) तथा जल (पैक्ड तथा सीलबंद)
  • किसी वाटरप्रूफ कन्टेनर में रखी मोमबतियां तथा माचिस
  • चाकू
  • क्लोरीन की गोलियां या पाउडर-युक्त पानी
  • महत्ववपूर्ण दस्तावेज (राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड आदि)
  • नकदी, आधार कार्ड तथा राशन कार्ड
  • मोटी रस्सियां तथा डोरियां
  • जूते